सत्य से रूबरू कराया था।
अहिंसा का मार्ग दिखाया था।
निष्ठा से कर्म करना सिखाया था।
देश को आजा़द कराया, धोती पहनें — लाठी उठाए ।
देश के पिता बनें, सरे संसार मे महात्मा कहलाए ।
तिरंगा भारत की भूमी पर शान से लहराया था,
बापु के आदर्शों पर मज़बूत देश बनाया था,
परंतू बापू के सपने हम पूरे न कर सके,
ज़िदंगी की दौड में सभी आदर्शों से भटके,
माता-पिता लाचार और बच्चे भूखे है,
शिक्षा तो स्वप्न है पहले सभी मौसम से बचते है,
भूले है सभी शिष्टाचार और परोपकार,
धन, ईर्शा और लालच की है जै जै कार,
बापू भी दुखी होंगे हमे आपस मे लडते देख,
दौलत, जाती, धर्म, कर्म आदी पर बटता देख ।
शायद.....
इस युग मे महात्मा हमारी अंतर आत्मा को बनना होगा ।
सभी को गांधी जयंती की शुभकामनाएं ।
Umang Daga
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