Saturday, 2 May 2015

OP-ED




"प्रजातंत्र"


यह कौन सा तंत्र है

षड्यंत्र ही षड्यंत्र है
वैश्विककरण का दौर है
हर आदमी यहाँ चोर है
दिल नहीं यह दौरा है
काहे का ढोंग धतूरा है
धर्म का मुँह काला है
अधर्मी का बोलबाला है
भ्रष्ट ही यहाँ शिष्ट है
स्वार्थ में सब लिप्त है
खादी के भाषण झूठे है
अपने बन सबको लूटें है
हर मानव बेरोजगार है
रोजगार की दरकार है
चारों ओर सूखा हतै
किसान यहाँ पर भूखा है
देखिये जनहित सरकार है
सर्वत्र भ्रष्ट और भ्रष्टाचार है
कहने को प्रजातंत्र है
जहाँ षड्यंत्र ही षड्यंत्र है..||


By: Mrs. Vandana Chaudhary

No comments:

Post a Comment