Sunday 10 April 2016

"नारी सशक्तिकरण और सम्मान"



आज के युग में हर कोई नारी सशक्तिकरण की बात करता है, पर किसी ने कभी ये नही सोचा की नारी की इस हालत का जिम्मेदार कौन है।



आखिर आज भी हमें इस मुद्दे पर इतना क्यों सोचना पड़ता है । क्या आज भी हमारी सोच इतनी छोटी है कि हम नारी को उसका सम्मान नहीं दे सकते । हम आज भी उस समाज में रेहते हे जहा नारी को देवी माना जाता है और उसकी पूजा की जाती है । आज हमें नारी सशक्तिकरण नहीं नारी सम्मान की अवश्यकता है । नारी तो पहले भी शक्ती का रुप थी और आज भी शक्ती का रूप है ।



अगर कुछ बदला है तो हमारी सोच और द्रष्टी जो आज नारी को अब्ला के रुप मे देखती है । नारी तो सदियो से पुज्य है, बस कुछ कुप्रचलित चलचित्र और छोटी मान्सिकताओं ने उसके सम्मान को ठेस जरुर पहुचाई है । हम सोचते बहुत हैं पर अभी सोचने की नही सोच बदलने की जरुरत है । 

सोच बदलनी हेै नारी के प्रती 
उसके सम्मान और उसके त्याग के प्रती 
जीवन दायनी हेै नारी 
परोपकार की देवी है नारी 
शक्ती का स्वरूप है नारी 
छमा की दाता है नारी 
त्याग की परिभाषा है नारी 
माँ का दूलार , बेहन का प्यार , पत्नी का विश्वास है नारी । 
“अगर हो सके तो लौटा दो नारी को उसका सम्मान, 
बदलो अपनी सोच को और समझो उसका बलिदान, 
यही है सच्चा नारी सशक्तिकरण और उसका मान । 
अगर हो सके तो लौटा दो नारी को उसका सम्मान” 


- By Devendra Pandey ©


pic courtesy : http://wellnessgospel.com/

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